स.शिक्षक छत्तरसिंह ने शिक्षा मंदिर को बनाया मयखाना।
सारंगढ़। जिले में शिक्षा का स्तर बद से बदतर होती जा रही है। बरमकेला के बोकरा मुड़ा स्कूल मे शराबी गुरूजी जो स. शिक्षक पद मे पदस्थ है। सरकारी स्कूल में रोजाना शराब के नशे में स्कूल आता है। जब ग्रामीणों द्वारा उन्हें शराब पीने से मना किया जाता है, तो वह रौब दिखाते हुए कहता है कि मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता ?मेरी ऊपर तक पहचान है। लोगों की माने तो स्कूल का चपरासी और गाँव के गुंडे शराबी साथी इस शिक्षक के पैग और चखना के हमजोली हैँ। जिनके दम पर ये शिक्षक किसी से नही डरता, रसोईया प्रपा व ग्रामीणों द्वारा इसकी शिकायत विभाग के उच्च अधिकारियों तक को करने पर इसका बाल भी बांका नही होता। कई बार ग्रामीणों ने शिक्षक छत्तरसिंह सिदार को समझाइश देने कोशिश की पर शराब के नशे में स्कूल जाकर बच्चों को न पढ़ाएं बच्चे डर जाते हैँ इसका बच्चों पर गलत असर पड़ेगा पर शिक्षक को तो बच्चों के भविष्य से कोई लेना देना ही नहीं है। ऐसे शिक्षकों की वजह से बच्चों का भविष्य अंधकार मय होने से कोई नहीं रोक सकता, लेकिन इस से छत्तरसिंह जैसे को कोई भी फर्क नहीं पड़ता ? ऐसे शिक्षक जिस भी स्कूल में जाएंगे वहाँ बच्चों का भविष्य चौपट होना है।
क्या कहते हैँ सरपंच प्रतिनिधि दशरथ साहू
मुझे ग्रामीणों और पंचो ने फोन के द्वारा सूचना दी कि स्कूल मे सहायक शिक्षक छत्तर सिंह शराब पीकर पड़े हैँ। मै यहाँ आकर देखा तो सहायक शिक्षक शराब के नशे मे मदहोश थे, बच्चे डर से घर जा चुके थे। ग्राम बोंदा के सीएससी मनोज कुमार साहू और व्याख्याता शिक्षक पटेल ने मीडिया को बताया कि उन्हे पालकों के द्वारा सहायक शिक्षक छत्तर सिंह सिदार द्वारा शराब पीकर स्कूल आने की शिकायत मिली थी, जिस की सूचना तत्काल बीईओ को दी। स्कूल में देखा कि – शिक्षक शराब के नशे मे चूर थे ठीक से बैठ और बोल नही पा रहे है, बच्चे डरे हुए हैँ। मीडिया द्वारा क्या ये छत्तर सिंह द्वारा शराबखोरी की पहली घटना है पूछने पर श्री साहू ने बताया कि – इससे पहले भी इनके कृत्य की सूचना उच्चाधिकारियों को दी गई थी, जिससे शायद उनका वेतन वृद्धि रोका गया था। अब इस पर सवाल उठना लाज़मी है कि – ऐसे शराबी शिक्षक की जानकारी मिलने पर भी उच्चाधिकारी सिर्फ वेतन या वेतन वृद्धि रोककर इस शराबी शिक्षक को उल्टा बढ़ावा दे रहे हैँ और बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने का खुलेआम लाइसेंस दे रहे हैँ जबकि – देश के अन्य जगहों पर ऐसे शिक्षकों पर कठोरतम कार्यवाही होती है लेकिन ये सारंगढ़ है शायद यहाँ शिक्षाविभाग राजनीतिक दबाव या चढ़ोत्तरी के बोझ तले कठोर कार्रवाई करने से कतराती हैँ। लेकिन इस बार इस शराबी शिक्षक की करतूत मीडिया के कैमरे मे कैद है। देखना लाज़मी होगा इस शराबी शिक्षक पर जिम्मेदार अधिकारी कब तक और क्या कार्यवाही करते हैँ।
मैं पदाधिकारी हूं, जो लिखना छापना है करो
छत्तर सिंह नशे की हालत मे भी खुद को पदाधिकारी हूं बोलता है और डंके की चोट मे कहता है कि – कोई भी मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता है, मेरी सेटिंग बड़े कार्यालय में है। क्या होगा पैसे देकर ट्रांसफर करा लूंगा। अब सवाल ये उठता है कि – ऐसे शराबी शिक्षकों पर किसका हाथ है, जो इतनी हिम्मत से ऐसे कृत्य को अंजाम दे रहे हैं और शिक्षा के मंदिर को अपवित्र करने से बाज नहीं आ रहे। जब मीडिया ने उन से स्कूल के प्रधान वाठक के बारे मे पूछा तो ये पियक्कड़ साहब उनका भी नाम नही बता पाये। जरा सोचिये ऐसे शिक्षक के भरोसे प्रशासन बच्चों के भविष्य को गढऩे की उम्मीद लगाये बैठी है।