छत्तीसगढ़

सोशल मीडियामें -पत्रकारों पर भददी टिप्पणी करने पर हुआ बवाल FIR की मांग…


एक गंभीर मामला सामने आया है, जहां वसीम बेग नामक व्यक्ति ने व्हाट्सएप ग्रुप ‘हमर घरघोड़ा’ में धार्मिक उन्माद भड़काने वाली आपत्तिजनक पोस्ट साझा की। इस पोस्ट में न केवल धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की कोशिश की गई, बल्कि पत्रकारिता और पत्रकारों पर भी अभद्र और अपमानजनक टिप्पणियां की गईं। यह कृत्य सिर्फ एक व्यक्ति की हरकत नहीं, बल्कि सोशल मीडिया के बढ़ते दुरुपयोग और समाज में नफरत फैलाने की साजिश का एक उदाहरण है। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर इस तरह के हमले न केवल निंदनीय हैं, बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि असामाजिक तत्व सोशल मीडिया को हथियार बनाकर समाज में वैमनस्य फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। अब समय आ गया है कि ऐसे तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर नफरत फैलाने की साजिशों पर रोक लग सके।


ये है पूरा मामला
08 मार्च 2025 को वसीम बेग ने व्हाट्सएप ग्रुप में एक विवादित पोस्ट साझा की, जिसमें धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने, सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने और पत्रकारिता को बदनाम करने का ज़हर भरा गया था। पोस्ट में एक ओर रमज़ान और होली से जुड़े भ्रामक बयान दिए गए, तो दूसरी ओर मीडिया को ‘सरकार का कुत्ता’ तक कहने की नीच हरकत की गई।
पत्रकार संघ भड़का, FIR की मांग
इस शर्मनाक मामले को लेकर छत्तीसगढ़ श्रमजीवी पत्रकार संघ, घरघोड़ा ने घरघोड़ा थाना में लिखित शिकायत दर्ज कराई है और आरोपी पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा 316, 317, 318, 153 और 354 के तहत तत्काल FIR दर्ज कर गिरफ्तारी की मांग की है। संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि “पत्रकारों को गालियाँ देना, मीडिया को अपमानित करना और धार्मिक उन्माद फैलाना-यह सब सुनियोजित साजिश का हिस्सा है। अगर इस पर कड़ी कार्रवाई नहीं हुई तो प्रदेशभर के पत्रकार सड़क पर उतरने को मजबूर होंगे।”
मिल गयी है खुली छूट
* यह पहली बार नहीं है जब सोशल मीडिया पर समाज तोड़ने वाले ज़हरीले बयान सामने आए हैं। बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रशासन इन कट्टरपंथियों को खुली छूट देगा? क्या एक खास मानसिकता के लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल नफरत फैलाने और पत्रकारिता का गला घोंटने के लिए कर सकते हैं?
पत्रकारिता पर हमला अब बर्दाश्त नहीं
मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है, लेकिन अगर पत्रकारों को खुलेआम गालियाँ दी जाएं और मीडिया को अपमानित किया जाए, तो यह केवल पत्रकारों पर नहीं, बल्कि पूरे लोकतंत्र पर हमला है। अगर इस मामले में तत्काल कड़ी कार्रवाई नहीं हुई, तो पत्रकार संघ राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ने से पीछे नहीं हटेगा।

अब प्रशासन के रूख पर टिकी नज़रें


अब यह देखना होगा कि क्या पुलिस इस मामले में तुरंत कार्रवाई करती है या फिर यह मामला भी सरकारी फाइलों की धूल चाटता रहेगा? पत्रकार संघ और जागरूक नागरिकों ने साफ कर दिया है कि अगर आरोपी पर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो पत्रकारों का गुस्सा सड़कों पर फूटेगा।

Rakesh Nirala

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