04 शिक्षको के भरोसे शासकीय उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय जेवरा,।
शिक्षको की कमी के चलते शुरू नही हो सका कामर्स की कक्षा
शाला प्रबंधन समिति के अध्यक्ष लखेश्वर साव, मनीराम साव, गंगाराम चौहान, तेजलाल सांड सहित दर्जनों ग्रामीणों ने बताया कि ग्रामीण अंचल के विशेषकर गरीब एवं किसान के बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के उद्देश्य से वर्ष 2008 में हाईस्कूल विद्यालय का शुभारंभ किया था। जहां ग्रामीणों की मांग पर 2017 में हायर सेकंडरी में उन्नयन कर कला, विज्ञान, कामर्स संकाय की कक्षाएं संचालित करने की अनुमति मिली। लेकिन विद्यालय में शुरू से ही शिक्षकों सहित विषय विशेषज्ञ शिक्षकों की कमी होने के कारण कला एवं विज्ञान संकाय की कक्षाएं संचालित हो पा रही है। अभी तक कामर्स विषय के शिक्षक नही होने के कारण कामर्स संकाय की कक्षा शुरू नही हो पाया है। शुरू से ही विद्यालय में शिक्षको कमी से जुझ रहा है। जिसके चलते छात्र-छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। शिक्षा विभाग ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही शहरी क्षेत्र के विद्यालयों में शिक्षकों की कोई कमी नहीं है लेकिन जैसे-जैसे शहरों से गांव की ओर विद्यालय आते जाते हैं शिक्षकों की कमी होती जाती है। मामले स्थानीय विधायक डॉ. सम्पत अग्रवाल को समस्या के बारे में अवगत कराया गया। उनके द्वारा अविलंब शिक्षकों की व्यवस्था करने की बात कहीं है। पिछले वर्ष शिक्षकों की मांग को लेकर विद्यालय में तालाबन्दी की गयी थी। जिस पर जिला पंचायत सीईओ एस आलोक, तहसील और बीइओ जेआर डहरिया जेवरा विद्यालय पहुंचकर तत्काल 2 शिक्षकों व्यवस्था करते हुए समझाइश देकर ताला खुलवाया था। लेकिन नए शिक्षा सत्र शुरू होते ही शिक्षकों को वापस बुला लिया गया है। जिससे एक बार फिर पढ़ाई बाधित हो गयी अगर शिक्षा विभाग 15 दिनों के भीतर शिक्षकों को व्यवस्था नही की गई तो इस बार विद्यालय में तालाबंदी नही बल्कि अपने बच्चों के साथ सड़क पर बैठेंगे जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।
“शिक्षकों की युक्तियुक्तकरण की गाइडलाइन बन रही है। उस प्रक्रिया तहत शिक्षकों की पदस्थापना की जावेगी। बसना विकासखंड में 70 ऐसे विद्यालय है जो एक शिक्षकीय है। युक्तियुक्तकरण में सभी विद्यालयों में शिक्षकों की व्यवस्था की जावेगी इसके अलावा पढ़े लिखे युवाओं को शिक्षा दान करने प्रोत्साहित किया जावेगा जिससे कि विद्यार्थियों को गुणवक्तापूर्ण शिक्षा मिले सके।”
जेआर डहरिया
विकासखंड शिक्षा अधिकारी बसना
शिक्षा क्षेत्र में समय-समय पर पर हुये सुधारों से शिक्षा में गुणवत्ता, विस्तार और व्यवस्था में बढ़ोत्तरी हुई हैं। लेकिन आज भी हमारी शिक्षा व्यवस्था की मूल समस्या दूर नहीं हो पाई है। विद्यालयों में शिक्षकों की कमी के साथ विषय विशेषज्ञ शिक्षकों की कमी बरकरार हैं। शासन-प्रशासन भले ही बच्चों को अच्छी शिक्षा व्यवस्था देने के लाख दावें करें मगर ग्रामीण अंचल के सरकारी विद्यालयों की हालत दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है। शिक्षकों की कमी के चलते विद्यार्थियों के भविष्य पर खतरा मंडराने लगा है। कई बार शिक्षकों की मांग किए जाने के बाद भी शासन-प्रशासन गंभीर नही है।
मामला बसना विकासखंड के आखिरी छोर में बसा वनाचंल ग्राम जेवरा के शासकीय उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय है। जो कभी गुणवक्ता एवं परीक्षाफल में अपने संकुल स्तर पर अव्वल स्थान हासिल करने वाला विद्यालय आज प्राचार्य सहित व्याख्याता के आधे से ज्यादा पद रिक्त होने के कारण पिछड़ता जा रहा। जिससे परिणामस्वरूप शिक्षा के स्तर में गिरावट और विद्यार्थियों की दर्ज संख्या में लगातार कमी होती जा रही है। जहां इंदलपुर, गनेशपुर, बनडबरी, सलगपानी, कटेक, कपसाखुंटा, ढोढ़रकसा, बहादुरपुर सहित लगभग एक दर्जन गांवों के 240 से ज्यादा विद्यार्थी हुआ करते थे आज घटकर कक्षा 9वीं में 41, कक्षा 10वीं में 40, कक्षा 11वीं में 27 व कक्षा 12वीं में 35 कुल 143 विद्यार्थी ही अध्यनरत है। विद्यालय में हिंदी, राजनीति, अर्थशास्त्र, भूगोल, जीव विज्ञान, रसायन जैसे मुख्य विषयों के शिक्षक नही होने के कारण विद्यार्थी नाम कटवाकर दूसरे स्कूलों में दाखिला करवा रहे है जबकि अभिभावक भी अपने बच्चों को प्रवेश दिलाने में अपेक्षाकृत कम रुचि दिखा रहे हैं। यही कारण है कि इंदलपुर से 8वीं पास करके दाखिला के लिए आये 25 विद्यार्थी में से 22 विद्यार्थी अपना टीसी लेकर दूसरे जगह दाखिला करा लिया है। शिक्षकों की कमी को लेकर अभिभावकों और विद्यार्थियों में शिक्षा विभाग सहित शासन-प्रशासन के खिलाफ भारी आक्रोश देखने को मिला रहा है क्योकि गत सत्र शिक्षकों की कमी को लेकर विद्यालय में तालाबंदी की गयी थी। जिसके चलते आनन- फानन में प्रशासन द्वारा दो शिक्षकों की व्यवस्था कर तालाबन्दी को हटवाया था। लेकिन नए शिक्षा सत्र शुरू होने के साथ ही उन दो शिक्षकों को वापस बुला लिया गया है। जिससे अध्यापन व्यवस्था लड़खड़ा गई है।