सिद्धार्थनगर

मोहर्रम को लेकर ताजिया बनाने में जुटे कारीगरः मुख्य आकर्षण होगा बड़ा इमामबाड़ा चौक पर रखा जाने वाला ताजिया, 25 फीट ऊंचाई…



सिद्धार्थनगर में मोहर्रम पर रखे जाने वाले ताजिया को बनाने के काम में डुमरियागंज क्षेत्र के हल्लौर कस्बा मे कारीगर बड़ी तेजी से जुटे हुए हैं। मोहर्रम करीब आ जाने से ताजिया निर्माण कार्य में तेजी आ गई है। छोटे बड़े तमाम ताजियों को मोहर्रम की नौवीं को चौक पर रखा जाएगा। इस बार मोहर्रम 8 जुलाई से शुरू हो रहा है। ऐसे में कारीगरों ने निर्माण कार्य में तेजी लाई है।जिले के डुमरियागंज तहसील क्षेत्र के कस्बा हल्लौर में सबसे बड़ा और आकर्षण का मुख्य केंद्र वफफ शाह आलमगीर सानी कमेटी का बड़ा ताजिया होता है। जिसकी ऊंचाई 25 फीट से अधिक होती है। इस ताजिए को बड़ा इमामबाड़ा में हर साल चौक पर रखा जाता है। बड़े ताजिया को बनाने वाले मुख्य कारीगर वजीर हैदर बबलू शिद्दत से जुटे हुए हैं।इनके साथ निसार हैदर सब्लू, शोएब, हादी, ताजीम अतहर, गुडडू, मोजिज, शादाब आदि की टीम ताजिया की सजावट व बनाने में साथ दे रही है। ताजिया की लागत 30 हजार से ऊपर होती है। इस ताजिया का निर्माण कार्य बकरीद के पहले यानी मोहर्रम के एक महीना पहले ही शुरू हो जाता है। बड़े ताजिए को देखने के लिए गैर जनपदों के श्रद्धालु भी हर साल मोहर्रम में आते है।



इस बार भी ताजिया को वजीर हैदर बबलू बना रहे हैं। उन्होंने दैनिक भास्कर से बातचीत मे बताया कि बड़े ताजिया में चार खंड होते हैं, जिसमें सबसे पिछले खंड को बहरी, दूसरे खंड को आठवास, तीसरे खंड को चौरस और सबसे ऊपरी हिस्से पर गुंबद होता है। ताजिया में सबसे कठिन काम गुंबद और अठवास बनाना होता है। जिस पर कुरान की आयत को कागज को काटकर लिखा जाता है। उन्होंने बताया कि वह बड़े ताजिया के साथ साथ दो दर्जन मध्यम आकार के ताजिए बना रहे हैं। यह गांव के अन्य स्थानों पर मोहर्रम पर रखे जाते हैं। इसकी ऊंचाई 15 और 16 फीट के बीच होती है।ताजिए मे दिखती ईरानी नक्काशी की झलक

हल्लौर में मोहर्रम के मौके पर बनाए जाने वाले छोटे बड़े ताजियों में ईरानी नक्काशी साफ तौर से दिखाई देती है। ताजिया बनाने वाले कारीगर संजू, शहरयार, एहतेशाम और मोनू ने बताया कि ताजियों पर कुरान की आयतों को कागजों पर छापकर लगाया जाता है। साथ ही रंग-बिरंगे कागजों से ताजियों को सजाया जाता है। जिससे ताजिए की खूबसूरती काफी बढ़ जाती है। कारीगरों की कशीदाकारी यानी उनकी कला ताजिए पर साफतौर से दिखाई देती है।

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