विभाग और ठेकेदार की उदासीनता से नमामि गंगे परियोजना चढ़ी दुर्गति की भेंट ।
सरीला (हमीरपुर )- केंद्र सरकार की ओर से करोड़ों अरबों रुपए का बजट खर्च कर अलग से मंत्रालय बनाकर नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत गांव गांव, घर घर स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने की मुहिम को जिम्मेदारों की लापरवाही से सरीला क्षेत्र में तगड़ा झटका लगा है । सरीला तहसील के खेड़ा शिलाजीत गांव में ठेकेदार और विभागीय जिम्मेदारों की लापरवाही से ग्रामीणों को निराशा हाथ लगी है। इस योजना को पूरा करने के लिए गांव की सड़कों को खोदकर पाइप डालकर कनेक्शन कर महीनों पहले छोड़ दिया गया है , और पेयजल अभी तक ग्रामीणों को नसीब नहीं है एक साथ गांव की कई गलियां खोदे जाने के बाद सड़कें ऊबड़- खाबड़ हो गई हैं। मार्ग से गुजरने वाले लोग परेशान हैं। बरसात आते ही कीचड़ का सैलाब बन चुके हैं , इन जर्जर रास्तों पर लोग गिरकर चूट हिल हो रहे है। सड़कों को सही कराने के नाम पर मिट्टी से पाटकर छोड़ दिया गया जिससे बरसात आते ही ग्रामीणों का लाईन बिछाने के लिए खोदे गए इन जर्जर रास्तों से निकलना दूभर हो गया है ठेकेदार द्वारा सही काम न कराए जाने से ग्रामीणों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। खेड़ा गांव निवासी शैलेन्द्र ने बताया कि वे इन परेशानियों से जिम्मेदार अधिकारियों को अवगत करा चुके हैं कि ठेकेदार द्वारा गांव की सड़कें बर्बाद करने के बाद भी न तो पेयजल मिल रहा है न ठेकेदार द्वारा सड़के सही कराई जा रही है लगभग दो माह पूर्व गांव के रास्तों की दुर्गति करके ठेकेदार गायब है जिसका खामियाजा गांव की जनता को भुगतना पड़ रहा है।
वहीं ग्रामीण वीर सिंह ने बताया कि छोटे छोटे बच्चे इन जर्जर रास्तों से निकलकर कीचड़ से सराबोर सड़कों पर गिर पड़ते है पानी आज तक नसीब नहीं हुआ और ठेकेदार लाइन डालकर कनेक्शन कर दो माह से नदारद है। बरसात के दिनों में पूरे गांव में आवागमन को बाधक बनाकर गायब हो गया है । जिससे ग्रामीण बहुत परेशान है ।
वहीं जब इस संबंध में परियोजना का काम देख रहे एई मानवेन्द्र से बात की गई तो उन्होंने कहा कि खेड़ा शिलाजीत के ग्रामीणों की समस्या मेरी जानकारी में नहीं है । संबंधित ठेकेदार से बात करके काम कराते है सरकार भले ही लाख जतन कर हजारों करोड़ रुपए इस बड़ी परियोजना पर खर्च करके हर घर स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने का दावा भर रही हो लेकिन विभागीय अधिकारियों की उदासीनता और जिम्मेदार ठेकेदार की लापरवाही के चलते बरसात आते ही मार्गो की स्थिति जर्जर करने के बाद भी इस पेयजल योजना का लाभ ग्रामीणों को धरातल पर अब तक न मिल पाना कहीं न कहीं इस बड़ी परियोजना के जिम्मेदारों की नाकामी और लापरवाही को उजागर करती दिखती है।