मलेरकोटला नगर कौंसिल के अंतर्गत माना रोड और दिल्ली गेट के अंदर बिना नक्शे के अवैध रूप से बनाई गई इमारतें , नोटिस को ख़ुर्द बुराद की चर्चाओं ज़ोर-शोर से, संबंधित अधिकारी और प्रशासन सोए गहरी नींद।।
सलमान कपूर/ मालेरकोटला : मालेरकोटला नगर परिषद की गतिविधियों में आम तौर पर चर्चा होती है, यह भी सुनने में आता है कि नगर परिषद मालेरकोटला के अंतर्गत माना रोड और दिल्ली गेट के नीचे कई इमारतों का निर्माण बिना किसी नक्शे या फ़ाइल के किया गया है, ऐसा विश्वसनीय स्रोतों से भी सामने आया है कि कुछ इमारतों के लिए नोटिस जारी किए गए थे और नोटिस तक राजनीतिक कद के एक व्यक्ति द्वारा खुर्द बुर्ध करवा दी गई थी। ऐसा भी सुनने में आया है कि नगर कौंसिल मालेरकोटला में दखलंदाजी करने वाले राजनीतिक लोग बहुत ही मैत्रीपूर्ण व्यवहार कर रहे हैं और आम गरीब लोगों को बेवजह नगर कौंसिल मालेरकोटला के दफ्तर के चलकर लगवाए जा रहें है। नगर कौंसिल मालेरकोटला में दखलंदाजी करने वाले कुछ राजनीतिक दिग्गजों की चर्चाओं की जांच कर उन महानुभावों के नाम भी सार्वजनिक किए जाएंगे। पंजाब सरकार के खजाने को लगातार सियासी लोगों द्वार नगर परिषद के अधिकारियों को शह देकर चुना लगवाया जा रहा है और अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है।
गौरतलब है कि धूरी रोड स्थित एक होटल की सरकारी जमीन पर कब्जे का मामला चर्चा में गूंजता रहा और अखबारों की सुर्खियों में भी रहा कि शेड आदि डालकर सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया गया है इस अतिक्रमण के पीछे कौन है, यह तो चर्चो की जांच से ही पता चलेगा? लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि नगर परिषद ने एक बार पीला पंजा चलाया था, लेकिन फिर से सरकारी जमीन पर अतिक्रमण को लेकर नगर परिषद के अधिकारियों की आंखों पर पट्टी क्यों बंधी हुई है? जहां एक ओर सरकारी खजाने का बंदरबांट किया जाता है, वहीं दूसरी ओर कुछ सामाजिक तत्वों को अवैध काम करने की भी छूट मिल जाती है. एक और मामला जो चर्चाओं और अखबारों की सुर्खियों में छाया रहा, वह है इस्लामिया स्कूल शाखा नंबर एक की बिल्डिंग बिना नक्शे, बिना फाइल के? विश्वसनीय सूत्रों से पता चला कि मालेरकोटला नगर परिषद के उच्च अधिकारियों द्वारा नोटिस जारी किया गया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई, विश्वसनीय सूत्रों ने कहा कि नगर परिषद के उच्च अधिकारियों की ओर से एक राजनीतिक व्यक्ति के दबाव में कोई कार्रवाई नहीं की गई इस नोटिस पर ऐसा पाया गया।
इस बारे में जब ईओ ने नगर परिषद से उनके फोन नंबर पर फोन कर पूछना चाहा तो ईओ साहब ने फोन उठाना जरूरी नहीं समझा? वहीं इस मामले में जब नगर परिषद अध्यक्ष के पति अशरफ अब्दुल्लाह को फोन कर पूछना चाहा तो उन्होंने भी फोन उठाना जरूरी नहीं समझा. यह तो जांच टीम ही साबित करेगी या विजिलेंस की टीम के चर्चे सच हैं या गलत? इस मामले संबंधी सभी लिखित व साक्ष्य संबंधी जानकारी मुख्यमंत्री पंजाब, डिप्टी कमिश्नर मालेरकोटला व अन्य संबंधित अधिकारियों को दे दी गई है। देखने वाली बात यह होगी कि रिकार्ड नष्ट करने वाले नगर कौंसिल मालेरकोटला के अधिकारियों पर कब और कैसे कार्रवाई होती है?