छत्तीसगढ़

बच्चों की पढ़ाई हो रही प्रभावती यहां अपने छोटे बच्चे को लेकर पढ़ाने आती है शिक्षिका…।

धरमजयगढ़ । धरमजयगढ़ विकास खंड के ग्राम पंचायत तेजपुर के आश्रित ग्राम केखरानारा में शिक्षिका अपने बेटे को साथ लेकर स्कूल पढ़ाने आ रही है जब की गाइडलाइन के हिसाब से कोई भी शिक्षिका अपने बच्चों की देखभाल के लिए एक आया को रखे एवं बच्चों को जहां तक हो सके घर पर ही छोड़कर जाना रहता है किसी कारणवश अगर बच्चे को स्कूल तक ले जाना पड़े तो साथ में एक केयरटेकर रखना अनिवार्य है

इन सारी नियमों को धज्जियां बताते हुए शिक्षिका अपने साथ बच्चे को स्कूल ले जाकर अपने बच्चों की देखभाल में व्यस्त रहती है एवं पढ़ाई प्रभावित हो रही है पहली से पांचवी तक लगने वाली इस स्कूल में सिर्फ एक शिक्षक और एक शिक्षिका है जिससे अनुमान लगाना आसान हो सकता है कि अपने बच्चों के साथ बच्चों का पढ़ाई किस तरीके से करा रही होगी जब शिक्षिका से इस सम्बन्ध में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मुझे सारी गाइडलाइन पता है मगर मैं अपने बच्चे को साथ में लाती हूं और भी बहुत सारे ऐसे शिक्षिकाएं हैं जो अपने बच्चों को साथ में स्कूल लेकर आती है एवं

हमारे उच्च अधिकारी इन हालातो से परिचित है हमें किसी  चिंता करने की आवश्यकता नहीं है

देखिए वीडियो 

https://youtu.be/EmiNoMOSXmw?si=pd03Qv1mxdegJEzo





विकास खंड का शिक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे चल रहा जो कि अब साधारण बात हो गई है। आज के समय में यदि देखा जाए तो शिक्षा एक बहुत बड़ा व्यवसाय का जरिया बन गया है प्राइवेट स्कूलों का परचम चारों और लहरा रहा है इसका मुख्य वजह एकमात्र सरकारी शिक्षा व्यवस्था का लाचार एवं दयनिय स्थिति को माना जा सकता है क्योंकि सरकारी शिक्षा तंत्र इस कदर ढीला ढाला चल रहा है की किसी को अपनी जिम्मेदारी निभाने की आवश्यकता महसूस नहीं हो रही है केवल कुर्सी पर बैठकर और कागजी खानापूर्ति कर यहां पगार लेने में शिक्षा व्यवस्था से जुड़ी अधिकारी एवं कर्मचारी मस्त रहते हैं एवं आराम की जीवन व्यतीत कर अपने आप को भाग्यशाली महसूस कर रहे हैं शिक्षा व्यवस्था में इतनी खामियां हैं और इतनी लापरवाही है कि इससे अगर सही ढंग से समझा जाए एवं इसकी गाइडलाइन को लागू किया जाए तो जिस गति से शिक्षा व्यवस्था का स्तर गिर चुका है शायद इस व्यवस्था की स्थिति इस कदर ढीला  एक आदर्शशिक्षा व्यवस्था के रूप में अग्रसर होकर विकास खंड का शिक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे चल रहा जो कि अबसाधारण बात हो गई है। आज के समय में यदि देखा जाए तो शिक्षा एकबहुत बड़ा व्यवसाय का जरिया बन गया है प्राइवेट स्कूलों का परचम चारोंऔर लहरा रहा है इसका मुख्य वजह एकमात्र सरकारी शिक्षा व्यवस्था कालाचार एवं दयनिय स्थिति को माना जा सकता है क्योंकि सरकारी शिक्षातंत्र इस कदर ढीला ढाला चल रहा है की किसी को अपनी जिम्मेदारी निभानेकी आवश्यकता महसूस नहीं हो रही है केवल कुर्सी पर बैठकर औरकागजीखानापूर्ति कर यहां पगार लेने में शिक्षा व्यवस्था से जुड़ी अधिकारी एवंकर्मचारी मस्त रहते हैं एवं आराम की जीवन व्यतीत कर अपने आप कोभाग्यशाली महसूस कर रहे हैं शिक्षा व्यवस्था में इतनी खामियां हैं और इतनीलापरवाही है कि इससे अगर सही ढंग से समझा जाए एवं इसकीगाइडलाइन को लागू किया जाए तो जिस गति से शिक्षा व्यवस्था का स्तरगिर चुका है शायद इस व्यवस्था की स्थिति इस कदर ढीला डाला ना होकरएक आदर्श शिक्षा व्यवस्था के रूप में अग्रसर होकर देश की शिक्षा स्थितिको सुधारा जा सकता है मगर विडंबना की बात यह है कि इस व्यवस्था सेजुड़ी अधिकारी सारी मापदंडों को नजरअंदाज कर अपना जेब भरने मेंव्यस्त है।

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