अपनी छवि सुधारने के लिए अनेक हथकंडे अपनाते है कई पुलिस अधिकारी,सुलझ चुके केस को फिर से सुलझाती है रायगढ़ पुलिस..
पुलिस अपनी बिगड़ी छवि सुधारने के लिए अवैध कार्यों पर कार्रवाई ना कर ऐसे मामलों का प्रचार करती है जिसका कोई लेना देना नहीं होता है. ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिसमें कोतरा रोड पुलिस स्वयं की पीठ थपथपाने के अतिरिक्त और कोई कार्य नहीं करी है. घटनाक्रम किस प्रकार है कि कोतरा रोड थाना अंतर्गत रहने वाली एक महिला ने 11 मई को अपनी नाबालिक बालिका के घर ना आने पर गोढ़ी तमनार निवासी महिला के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. तत्कालीन थाना प्रभारी के आदेश पर कोतरा रोड पुलिस ने अंजना पटनायक नामक महिला के घर बरभांटा तमनार में दबिश दी गई. तो महिला के परिजनों ने बताया कि वह पवन साहू युवक के साथ लड़की को लेकर कहीं चली गई है*
*5 दिनों के बाद नाबालिक लड़की सब कुशल अपने घर पहुंच जाती है. जिस संबंध में लड़की की माता के द्वारा पुलिस थाना में सूचना दे दी जाती है. मामला यहीं खत्म हो जाना चाहिए था क्योंकि लड़की का कथन करवाया गया था तो उसने अपने साथ मारपीट एवं दुष्कर्म नहीं होने का बयान दिया गया था. न्यायालय के समक्ष भी लड़की ने अपने साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार, प्रताड़ना, अन्याय, दुष्कर्म होना नहीं बतलाया. मगर अचानक से खाली बैठी कोतरा रोड पुलिस को न जाने क्या सुझा कि अचानक से अंजना पटनायक एवं पवन साहू को गिरफ्तार कर लिया और 12– 18 पास्को एक्ट लगाकर न्यायालय में पेश कर जेल दाखिल करवा दिया. इस मामले में यदि कोई वरिष्ठ अधिवक्ता पैरवी कर देगा तो शायद स्वयं की पीठ थपथपाने का कार्य करने वाली कोतरा रोड पुलिस को जवाब देना मुश्किल हो जाएगा*