सारंगढ़

घर घुसकर महिला एवं उसके पति पर जानलेवा हमला!

मामले की गंभीरता को देखते डॉक्टरों ने किया था रायगढ़ रिफर, अब न्याय के लिए बेबस नजऱ आ रहे पीडि़त परिवार

सारंगढ़। सबै सहायक सबल के कोई ना निबल सहाय, रहीम का दोहा आज के जमाने मे बिल्कुल फिट बैठता नजऱ आ रहा है। आज कानून के सख्ती के बावजूद कुछ ऐसे लोग भी मौजूद हैँ जो संख्या बल के आधार पर जिसकी लाठी उसकी वाले वाले कहावत को चरितार्थ करने मे लगे हैँ। जी हां आपने सही पढ़ा, सारंगढ़ के कोसीर थाना के अंतर्गत आने वाले ग्राम लेंधरा छोटे मे कुछ इसी तरह की घटना घटित हुई है। पीडि़तों की माने तो दिनांक 03 अगस्त की शाम तकरीबन 7:30 बजे के दरमियान जब पीडि़ता रामकुमारी अपने परिवार के लिए खाना बना रही थी तभी उसे बाहर कुछ आवाज़ सुनाई दी, पीडि़ता ने दरवाजा खोल के देखा तो भगवानो निषाद कुल्हाड़ी से उनके बादाम पेड़ को काट रहा था, पीडि़ता के मुताबिक वो शराब के नशे मे चूर था, इससे पहले भी भगवानो और उसका परिवार कई दफा उनसे झगड़ा और गाली गलाौच कर चुके थे, विवाद और ना बढ़े इसलिए झगड़ा के डर से अकेली रामप्यारी घर वापिस आकर दरवाजा बंद करने वाली थी तभी भगवानो निषाद, लक्ष्मण, झूलुप राम, उमेश, दिलेशवर और अन्य ने घर घुसकर जान से मार देंगे कहते हुए लाठी डंडे से शिवकुमार और राम प्यारी पर ताबड़तोड़ हमला कर दिया, उनका बेटा बचाने गया तो सबने मिलकर उसकी भी पिटाई कर दी।

किसी तरह पति पत्नी को 112 की मदद से सारंगढ़ जिला अस्पताल लाया गया। सारंगढ़ मे चोट की गंभीरता को देखते हुए रात को लगभग 2 बजे एम्बुलेंस के माध्यम से रामप्यारी और शिव प्रसाद को मेडिकल कॉलेज रायगढ़ रिफर किया गया। जहाँ दिनांक 04 से 08 तक दोनो एडमिट थे।

रायगढ़ कर दिया रिफर लेकिन परिजनों को नही दी कागज़

वैसे तो सारंगढ़ अस्पताल की खबरें मीडिया की सुर्खियाँ बनते रहती है, कुछ ऐसा ही मामला शिकुमार और रामप्यारी के केस मे देखने को मिला है। जब पीडि़त ने कोसीर थाने मे अपराध कायम कराया तो पुलिस वालों ने उनसे सारंगढ़ अस्पताल से रायगढ़ मेडिकल कॉलेज रिफर का कागज़ मांगा तो पीडि़त परिवार ने बताया की उन्हे सारंगढ़ अस्पताल से कोई रिफर कागज नही दिता गया था, जो भी कागजात था एम्बुलेंस के ड्राइवर भैया को दिया गया था उन एम्बुलेंस वाले भैया ने उन्हे सारंगढ़ से रायगढ़ मेडिकल कॉलेज तक छोड़ा। ऐसे मे कोसीर पुलिस पीडि़तों को लेकर पूछताछ के लिए सारंगढ़ अस्पताल लेकर आई है। ऐसे मे सवाल उठना वाजि़ब है कि जानलेवा मारपीट जैसे संगीन मामले मे जब मरीज की गंभीरता को देखते हुए उन्हे सारंगढ़ से रायगढ़ रिफर किया जाता है तब भी पीडि़त परिजनों


को कोई दस्तावेज ना देना सारंगढ़ अस्पताल की गैर जिम्मेदाराना रवैया को दर्शाता है।

पहले जान बचाएं या एफ.आई.आर

शिव प्रसाद और रामप्यारी दोनो जिंदगी और मौत से जुझ रहे थे उनका बेटा युगल भी चोट ग्रस्त था उनकी एक बेटी है जिसका विवाह कुछ महीनो पहले हुआ था ऐसे स्थिति मे जब कोई परिवारिक सदस्य ही ना बचे तो व्यक्ति सबसे पहले जान बचाने की ही सोचेगा और बेटी अन्नू निषाद ने भी वही किया। अपने माता पिता को लेकर आधी रात मेडिकल कॉलेज पहुंची जहाँ चक्रधर नगर पुलिस जांच करने पहुंची थी जिसे मामले के बारे मे परिजनों द्वारा बताया गया और अस्पताल से ही कोसीर थाना प्रभारी को फोन के माध्यम से पीडि़ता की बेटी अन्नू निषाद द्वारा घटना की शिकायत की गई थी। अस्पताल से 8 अगस्त को घर वापसी के पश्चात 09 अगस्त को पीडि़तों द्वारा थाने मे मामले की प्राथमिकी दर्ज कराई गई।

 

सुत्रो के अनुसार 3 अगस्त को शिवकुमार के घर मे घुसकर मारपीट करने वाले तथाकथित लोगों ने भी मामले मे खुद को फंसता देख, और शिवकुमार को मेडिकल कॉलेज अस्पताल मे भर्ती होने की जानकारी मिलने पर 06 अगस्त को शिवकुमार परिवार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया है। आज जब पीडि़त अस्पताल से छुट्टी पाकर कानून की शरण मे न्याय की गुहार लगाने आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने गये तो उनके होश उड़ गये जब थाने मे बताया गया कि जिन लोगों को सज़ा दिलाने वो थाने पहुंचे हैँ, वो उनके अस्पताल से आने से पहले ही उल्टा उनके विरुद्ध एफ आई आर करा बैठे हैं।

क्या कहते हैँ थाना प्रभारी तिवारी

मै आदिवासी दिवस रैली के ड्यूटी मे हूं, जा कर पूरे मामले की जानकारी लेता हूं, कानून सदैव निर्दोष की रक्षा और गुनहगारों को सज़ा देने के लिए प्रतिबद्ध है, जांच उपरांत दोषियों पर कठोरतम कार्रवाई होगी।

मारपीट करने वालों ने भी लिखाया एफ.आई.आर

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