सारंगढ-बिलाईगढ जिले मे कोटवारी भूमि के मामले मे आज तक कार्यवाही नही हुई है.. पढ़िए पूरी ख़बर …।
कोटवारी जमीन अवैध रूप से बेची, बिलासपुर कलेक्टर ने कोटवार को किया बर्खास्त
किन्तु सारंगढ़ में कोटवारी भूमि खरीदने वालो पर नही हो रही है कार्यवाही
सारंगढ़,
नया जिला बनने के बाद भी सारंगढ-बिलाईगढ जिले मे कोटवारी भूमि के मामले मे आज तक कार्यवाही नही हुई है। सारंगढ़ में सहसपुर के कोटवार के द्वारा मेन रोड़ में सेवा भूमि को औने-पौने दाम पर दर्जन भर से अधिक लोगो को बेच दिया है। बिलासपुर में आज कलेक्टर ने कड़ी कार्यवाही करते हुए कोटवारी जमीन की राजिस्ट्री को निरस्त करने का आदेश दिया तथा कोटवार को बर्खास्त कर दिया उससे अब पूरे प्रदेश मे कोटवारी भूमि की राजिस्ट्री निरस्त करने की उम्मीद जग रही है। सारंगढ तहसील के तात्कालिक पटवारी हल्का नंबर 24 सहसपुर में स्थित कोटवारी सेवा भूमि खसरा नंबर 84/1, 85, 155 रकबा 2.007 हेक्टयेर को को तात्कालिक कोटवार लक्षमीनारायण चौहान ने 2006 में दर्जन भर से अधिक लोगो को चंद हजार रूपये में विक्रय कर दिया था। आज यही भूमि करोड़ो रूपये की हो गई है। किन्तु आज तक इस भूमि के राजिस्ट्री निरस्त कर शासन के पक्ष मे नही लाया गया है जो कि साफ तौर पर राजस्व विभाग की उदासीनता को दर्शाता है।
कोटवारी भूमि का जिन्न सारंगढ़ का पीछा नही छोड़ रहा है। सारंगढ़ के सहसपुर जो कि नेशनल हाईवे 153 पर स्थित है तथा नगर पालिका क्षेत्र सारंगढ का हिस्सा है वहा पर 2006 मे तात्कालिक कोटवार लक्ष्मीनारायण चौहान ने सेवा भूमि मद की भूमि को लगभग एक दर्जन लोगो को चंद हजार रूपये मे विक्रय कर दिया था। इस सेवा भूमि के जांच के बाद शासन ने स्पष्ट आदेश दिया था कि इसकी राजिस्ट्री को निरस्त कर इसको वापस शासन के पक्ष मे रिकार्ड दुरूस्तीकरण किया जाये, किन्तु आज पर्यन्त तक इसका राजिस्ट्री निरस्त नही हुआ है। इस कोटवारी भूमि पर कई दुकान और शो रूम बन गये है। वही आज एक मामले मे बिलासपुर कलेक्टर ने कोटवारी भूमि का राजिस्ट्री को निरस्त करने का फैसला देते हुए कोटवार को ही बर्खास्त कर दिया जिसके बाद पूरे प्रदेश में कोटवारी भूमि पर फिर से कार्यवाही शुरू होने की कयावद शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है। वही इस सारंगढ़ तहसील के कोटवारी सेवा भूमि के मामले मे कई बार प्रशासन से शिकायत किया गया है और एसडीएम और तहसीलदार को कार्यवाही के लिये निर्देशित किया गया है किन्तु सारंगढ़ और बरमकेला मे जिन्होने कोटवारी भूमि खरीदी किया है उसपर कोई कार्यवाही नही किया गया है। जबकि नया जिला बना सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला मे कोटवारी भूमि पर वापसी की कार्यवाही होनी थी। किन्तु इसके उलट जिला बनने के ठीक पूर्व कोटवारी भूमि को ही फिर से टुकड़ो मे विक्रय कर दिया गया। राजस्व विभाग के पटवारी के मिलीभगत से कोटवारी भूमि का बिक्री नकल दे दिया गया और कोटवारी सेवा भूमि एक बार नही बल्कि दो-तीन बार बिक गया। इस पूरे खेल मे राजस्व विभाग के एक पटवारी के रिश्तेदार के नाम पर भी बड़ा सा मकान-दुकान इसी कोटवारी भूमि पर स्थित है। इस कारण से सारंगढ़ का राजस्व विभाग सारंगढ़ और बरमकेला के कोटवारी भूमि पर कार्यवाही करने से बचना चाहता है। वही पूरे मामले में जिला प्रशासन आने वाले दिनो मे कोटवारी सेवा भूमि को विक्रय को शून्य करने के लिये क्या प्रयास करता है यह देखने वाली बात होगी।
बरमकेला के कोटवारी सेवा भूमि पर राजस्व का कर्मचारी ?
बरमकेला में एक कोटवारी भूमि पर तो राजस्व विभाग के कर्मचारी का बड़ा आलीशान मकान भी बन चुका है। जिस तरह से बरमकेला में एक राजस्व विभाग के ही कर्मचारी द्वारा नियम विरुद्घ तरीके से कोटवारी सेवा भूमि की खरीदी की गई है ऐसे में जब बाहरी दूसरे लोग इस तरह की सेवा भूमि की खरीदी बिक्री करें तो इसमें अतिश्योक्ति नहीं होना चाहिए। मिली जानकारी के अनुसार बरमकेला ब्लॉक में बरमकेला-सोहेला मार्ग पर स्थित कई कोटवारी भूमि है। जिस पर एक स्थान पर राजस्व विभाग के कर्मचारी का मकान है। दूसरी ओर नगर के धनाड्यों का मकान व दुकान तक बन चुका है। वहीं एक अन्य प्लाट पर बाउंड्रीवाल बनाकर रखा गया है।
सारंगढ़ कोटवारी सेवा भूमि पर धनाढ़यो का कब्जा
सारंगढ़ ब्लॉक में भी मुख्य मार्ग से लगे कोटवारी सेवा भूमि जिसकी कीमत करोड़ों की बताई जा रही है। इसे नगर के धनाढ़्या द्वारा नियम विरुद्घ कोटवारी से औने-पौने दाम पर खरीद ली गई है। जिस पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। सारंगढ़ कोटवारी सेवा भूमि मामले में तो पूर्व में रायगढ़ के कलेक्टर से शिकायत भी की जा चुकी है। लेकिन अब तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है।